बंद करे

इतिहास

अण्डिमान का एैतिहासिक पृष्टगभूमि:
अण्डडमान तथा निकोबार का इतिहास रामायण काल से ही प्रारम्भो हुआ है । रामायण काल में इसे हण्डुकमान नाम से जाना जाता था। समय गुजरने के साथ साथ इसके नाम में भी परिवर्तन होता गया । पहली शताब्दी में इस जगह को अगादेमन नाम से पुकारा जाता था और टलेमी के अनुसार इसका नाम अंगादेमन था। विश्वा के विभिन्ना भागों से पर्यटको ने यहॉं का भ्रमण किया। अरब भ्रमणकारियों ने 19 वीं शताब्दीा में इन द्वीपों का दौरा किया था। मार्को पोलो यहॉं पर 13 वीं शताब्दी में आए थे और इन द्वीपों का वर्णन अंगामानियण नाम से किया । इसके अलावा फ्रियर अंडारिक 14 वीं शताब्दीे में, और सीजर फ्रेडरिक 16 वीं शताब्दीा में इन द्वीपों का दौरा किया था। 17 वीं शताब्दीप में रायल इंडियन नेबी के लेफि्टनेन्ट आरचिब्लाेड ब्ले्यर ने दक्षिण अण्डशमान के निकट एक छोटे से द्वीप में नेवल बेस बनाया और जंगलो को साफ करके घरों का निर्माण करवाया एवं उन घरो के आस-पास सब्जियों तथा अर्चिडो का बाग लगवाया। इस प्रकार इस अनछूए वन्यं जगत पर मानव नियंत्रित सभ्यरता का आगमन का आधार स्थाइपित हुआ ।

 चाथम द्वीप के 12 एकर भूमि पर प्रथम कालोनी स्थायपित किया गया था। पेनेल सेटेलमेंट बसाने के लिए सर्वोत्तआम स्था न चयन हेतु 1857 में डा: फ्रेडरिक जॉन माउट के नेतृत्वस में ‘द अण्डरमान कॉमेटी’ का गठन किया गया । पेनेल प्रणाली की प्रबंधन एवं स्थालपना के लिए कैप्टे न मान द्वारा दिनांक 22 जनवरी 1858 को पोर्टब्ले्यर में (द्वितीय बार) युनियन जैक फहराया गया। ब्रिटिश सरकार द्वारा दक्षिण अण्डजमान के उसी बंदरगाह से(चाथम) जहॉं लगभग एक शताब्दीट पहले प्रथम कालोनी स्था पित किया गया था सन 1858 के बसंत ऋतु में पेनेल सेटेलमेंट प्रारम्भ किया गया । इसका नाम पोर्टब्लेथयर रखा गया । तीन माह बाद 16 जून को अधीक्षक जेम्सभ पैट्टिसन वाकर द्वारा कैदियों के निम्नालिखित गिनती रिकार्ड किया गया ।
कुल प्राप्त् – 773
अस्पपताल में मृत्यू – 64
पलातक एवं पुन: बंदी नहीं (संभवत: भुखमरी से मृत्यूर या जंगलियों द्वारा हत्याग )- 140
आत्मकहत्या – 1
भागने की प्रयास करने के लिए फांसी – 87

ब्रिटिशो द्वारा कैदियों से जबरदस्तीअ जंगल साफ करवाया जाता था । जिससे यहॉं के आदिवासियों का शांति भंग हो रहा था और आदिवासियों ने पलटवार करना प्रारम्भ कर दिया। आदिवासियों में अपनी आजादी के लिए ब्रिटिशों के विरूद्ध लड़ने की हिम्ममत पनपने लगा, फलस्वअरूप 17 मई 1859 को आदिवासियों ने अंग्रेजो के खिलाफ़ प्रथम जंग छेड़ दी जिसे ‘ बैटल आफ अबारडीन’ नाम से जाना जाता है ।

कुल 668 कक्ष का सेलुलर जेल का निर्माण कार्य 1896 से 1910 के मध्यथ हुआ । इस जेल में गोलाकार वृत्तक में सात भुजाएं थी । इस जेल का निर्माण मुख्ये भूमि के स्व तंत्रता सेनानियो को कैद करने के लिए किया गया था । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोर्टब्लेखयर पर जापानियों का कब्जाक था (वर्ष 1942 से 1945 तक)। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्वि में अनंतिम भारतीय सरकार की स्था(पना सन 1943 में हुआ था ।

स्व तंत्रता के पश्चाात भारत सरकार द्वारा द्वीपसमूह में प्रशासन की स्थाापना किया गया एवं पोर्टब्लेमयर को मुख्या लय बनाया गया। श्री इमाम उल मज़ीद को स्वरतंत्र अण्डभमान के प्रथम मुख्यब आयुक्त नियुक्ता किया गया ।
स्व्तंत्रता के परवर्ती काल में सेटलरो का प्रथम दल का आगमन मार्च 1949 को हुआ जिसमें पाकिस्थातन से आए लगभग 198 शरणार्थी परिवारों को इन द्वीपों में पुन:र्वसन दिया गया। इसके बाद 1950, 1951, 1952 से 1961 तक पुन:र्वसन चलता रहा। बंगाल, रांची, केराला, तमिलनाडु आदि जगह के सेटलरस् मुख्यात: किसान एवं छोटे शिल्पबकार थे। खेती-वाडी करने के लिए इन्हेंल भूमि मुहैया करवाया गया ।