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लोग एवं संस्कृति

अण्डएमान के लोगों को मुख्यण रूप से स्विदेशी या आदिम जनजातियों और प्रवासी या सैटलर जैसे दो समूह में वर्गीकृत किया जा सकता है। 1858 से पूर्व अण्डामान द्वीपसमूह में केवल आदिवासी ही निवास करते थे । भारत के विद्रोह के पश्चा्त पोर्टब्ले यर में दण्ड -स्वारूप बस्‍ती बसाने के साथ इन द्वीपसमूह में गैर- आदिवासियों का बसना आरंभ हुआ ।

दक्षिण अण्डभमान के स्विदेशी लोग

अण्डिमान द्वीपसमूह के आदिम जनजातियों में निम्न5लिखित चार प्रकार के आदिवासी शामिल है:

  • ग्रेट अण्डहमानी
  • ओंगी
  • जारवा
  • सेंटिनली

ग्रेट अण्डहमानी

अण्डमान तथा निकोबार प्रशासन द्वारा ग्रेट अण्डूमानी आदिवासियों को वर्तमान में स्ट्रेथट आईलैंड में बसाया गया है । अण्ड‍मान द्वीप समूह में दण्ड -स्वतरूप बसाई गई बस्तीआ के स्था पना से पूर्व ये आदिवासी अधिक संख्या में थे । इन्फ्लू एंजा इत्यासदि जैसी अनेक रोगों से इन आदिवासियों की बडी संख्याा में मौते हुई और वर्तमान में ये घटकर केवल 43 ही रह गए है । प्रशासन ने अण्ड्मानियों के उत्थांन के लिए मकानों की व्यहवस्था की है तथा नारियल के बागान लगवाए है । इसके अलावा उन्हें कपडों सहित मुफ्त राशन भी उपलब्धल करवाए जा रहे है। इस प्रकार अण्डंमानी अब खानाबदोश आदिवासी नहीं रह गए है । हॉंलाकि वे शिकार एवं मत्य्ण्डहरण के लिए दूर तक निकलते है ।
अण्डमानी मूल रूप में अपनी साहसी इतिहास के लिए भी जाने गए है, उन्होूनें तीर कमान के साथ अंग्रेजो से लडे थे, जिन्होजनें उनकी जमीन पर कब्जा। करने की प्रयास किए थे । 14 मई 1859 को 400-600 अण्डकमानियों ने आधुनिक हथियार वाले अंग्रेजी सिपाहियों के साथ बहादुरी से युद्ध किए, इतिहास में इस युद्ध को ‘’अबारडीन की लडाई’’ के नाम से जाना गया । अण्डामान तथा निकोबार द्वीपसमूह में प्रथम स्वोतंत्रता आंदोलन की आगाज के रूप में मरीना पार्क के समुद्र तट पर अण्डूमान सरकार ने इन बहादुर सिपाहियों स्मीरण में एक स्मादरक स्थाूपित की है । 2001 की जनगणना के अनुसार ग्रेट अण्डणमानी आदिवासियों की कुल जनसंख्यात मात्र 43 है ।

ओंगी

ओंगी भारत की सबसे आदिम आदिवासियों में से एक है । ये लिटिल अण्ड मान द्वीप में निवास करते है । इन शिकार करने एवं एक साथ रहने वाले आदिवासियों को अण्डिमान तथा निकोबार प्रशासन द्वारा लिटिल अण्ड मान द्वीप के डूगोंग क्रीक एवं साउथ बे में बसाया गया है । ओंगीयों के लाभ के लिए नारियल बागान भी लगाया गया है। प्रशासन द्वारा इन्हेंह स्वाकस्य्ान सुविधाए, मुफ्त राशन उपलब्धल कराया जा रहा है । ये कभी-कभी श्किार एवं मत्य्रियहरण के लिए भी निकलते है । 2001 की जनगणना के अनुसार ओंगी आदिवासियों की कुल जनसंख्यार मात्र 96 है ।

जारवा

वर्तमान में जारवा मध्यक अण्डरमान और दक्षिण अण्डेमान द्वीपसमूह के पश्चिमी तट में वास करते है । वे विद्रोही व्यडवहार के है, सरकार द्वारा बंगाली एवं अन्यव लोगों को बसाए गए क्षेत्रो में वे अक्सेर प्रवेश करते रहते है । अण्डनमान तथा निकोबार प्रशासन ने जारवा के साथ मित्रता का व्य वहार करने के लिए आवधिक रूप से सम्पनर्क अभियान का प्रारम्भा की है । पहला दोस्ताेना संपर्क सन 1974 में किया गया और तब से संपर्क दल, जो नारियल, केला और अन्य1 फलों जैसे उपहारों के साथ वहॉं जाते है, के साथ जारवाओं का शत्रुतापुर्ण व्याअवहार नहीं है ।
जारावा शिकार करने और एकत्र रूप से रहनेवाले खानाबदोश आदिवासी है । वे तीर-कमानों से जंगली सूअर एवं बडी-बडी छिपकलियों का शिकार करते है । इनके तीर का अग्रभाग लोहे का बना होता है । ओंगी और अण्डहमानी आदिवासियों की तरह जारवा शिकार करने के लिए कुत्तें का इस्तेतमाल नहीं करते हैं। पुरूष तटीय जल में तीर एवं कमान से तथा महिलाएं टोकरी की सहायता से मछली पकडते है । जारवा जंगल से फल तथा कंदमूल सहित शहद जमा करते है । वे अपनी शिविरों में अस्थाकई झोपडी बनाते है । वे खाडियों और नालियों को पार करने के लिए क्रुड राफ्ट (लकडी के बेडो) का इस्तेोमाल करते है । 2001 की जनगणना के अनुसार जारवा आदिवासियों की कुल आबादी 240 है ।

सेंटिनली

सेंटिनली आदिवासी छोटा उत्त री सेंटिनल द्वीप में निवास करते है । जारवाओ की तरह ये भी बाहरी लोगों को शत्रु समझते है । अण्डरमान तथा निकोबार प्रशासन उत्तहर सेंटिनल द्वीप में आवधिक रूप से सम्पहर्क अभियान चलाता है । 04 जनवरी 1991 को भूतपुर्व आदिवासी कल्यावन निदेशक श्री एस. ए. अवरादी के नेतृत्वभ में प्रशासन के सम्पदर्क दल ने सेंटिनालियों के साथ पहला दोस्ताेना संपर्क स्थाीपित कर सका, जो कि एक बहुत बडी उपलब्धि थी । तब से संपर्क दल से सेंटिनली उपहार स्वीसकार करते है । फिर भी सेंटिनली आदिवासी अभियान दल सहित बाहरी लोगों को संदेह की नजर से देखते है ।
सेंटिनली शिकार, मछली पकडने तथा एक साथ रहने वाले आदिवासी है । वे तीर एवं कमान से तटीय जल में मछलियॉं पकडते है और उत्तनरी सेंटिनल द्वीप में उपलब्धत जंगली सूअरों का शिकार करते है । सेंटिनलियों पास लकडी के लट्ठे को बीच से खोदकर बनाई गई नांव है, जिनका उपयोग वे कम गहराई वाले तटीय जल में करते है। उनके पास चप्पू नहीं है, इसलिए वे डोंगी को लम्बी लकडी के सहारे चलाते है । सेंटिनली भी अपने शिविरों में अस्थांई झोपडी बनाते है । पुरूष एवं महिला सेंटिनली दोनों ही कपडे नहीं पहनते है । 2001 की जनगणना के अनुसार सेंटिनली आदिवासियों की कुल आबादी 39 है ।